शुक्रवार, 7 दिसंबर 2007
नमस्कार mitron
बडे दिनों से लोगों को लिखते पड़ते और नेट पर भावनाओं का उफान उडेलते देख रह था, सोचा जब अपने पास भी विचारों और अभिव्यक्ति कि कमी नही है तो क्यों विचारों कि अभिव्यक्ति मे किसी से पीछे रह जाये, तो कुछ यूं शुरुआत कर दी फुहार कि......दरअसल जब गरमी कि असह्य पीडा के बाद बारिश कि कुछ बूंदे तन-बदन पर पड़ती हैं तो मन में उठनेवाले भावों को शब्दों मे बयां नही किया जा सकता ....मेरे विचारों से कोई आहत न हो, लोगों के चेहरों और जीवन मे मेरी बातों और विचारों से खुशी कि फुहार बरसे ऐसी उम्मीद करता हूँ..कितना सफल होता हूँ ..इसका फैसला तो यकीनन वक़्त ही करेगा.........dhanyawad...
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